माँ Srijan दिसंबर 29, 2022 चेतन चौथी कक्षा में पढता था। वह विद्यालय में हमेशा गुमशुम ही रहा करता था इसीलिए सभी बच्चे उससे कटे- कटे ही रहते। वह न तो होमवर्क ही ठ... Continue Reading
मेरे वतन Srijan अक्टूबर 08, 2022 ऐ मेरे वतन, वतन मेरे हम सबका आधार है तू... तुझसे ही ख़ुशी, सुख तुझसे हमारे लिए पूरा संसार है तू... अपना तन- मन समर्पित, तुझपर... Continue Reading
मानव धर्म Srijan जून 05, 2022 मनुज मनुज का शत्रु बन बैठा आज, ये जग कैसा अजब रंगशाला है! कौन कहता जीवन अमृत की धारा, ये जीवन तो विष का एक प्याला है! निज ... Continue Reading
अंतिम फ़ैसला Srijan मार्च 11, 2022 " अरे आरती! तुम अब तक तैयार नहीं हुई, तुम्हें याद है न कि आज सोनोग्राफ़ी के लिए डॉक्टर के पास जाना है।" अपनी रौबदार आवाज़ में रमेश... Continue Reading
प्रकृति की आवाज़ Srijan दिसंबर 15, 2021 सुनो! ये जो धड़ल्ले से पेडों को, अंधाधुंध काट रहे हो न तुम! ये अक्षम्य अपराध है तुम्हारा.. यदि अब भी न रोका अपने क़दमों को, अवश्यम... Continue Reading