शरद सुषमा Srijan दिसंबर 15, 2021 नव वधू सी शरद शोभती, रम्य सुकृत प्रणिता मोहती। श्वेत चादर बिछा कर धरणी, स्वागत गान सुनाती हंसिनी।। कमल कुमिदिनियों भरे तालाब... Continue Reading
बचपन हमें जीने दो Srijan दिसंबर 15, 2021 किताबों की बोझ तले,ना बचपन हमारा दबने दो। कागज की कश्ती से ही,विचारों की धारा में बहने दो।। भीगने दो बारिश की बूंदों में, बुलबुले बन... Continue Reading
एक स्वर्णिम युग का अन्त Srijan सितंबर 10, 2021 भारत वर्ष के इतिहास के, स्वर्णिम पन्नों को जब पलटा; नालंदा के टूटे खंडहरों में, प्रखर बोध पुंज -सा चमका। आदित्य- सम प्रखर ... Continue Reading