ऐ मेरे वतन, वतन मेरे
हम सबका आधार है तू...
तुझसे ही ख़ुशी, सुख तुझसे
हमारे लिए पूरा संसार है तू...
अपना तन- मन समर्पित,
तुझपर ये जीवन समर्पित...
तेरे कदमों पे शीश चढ़ा दूँ,
कि ईश्वर का अवतार है तू...
धन्य है वो माटी के लाल,
तेरे लिए जो हो गए निसार...
तेरी मिट्टी में है जीवन का सार,
हम सबका तो आधार है तू...
ग़ुलामी का हरेक साँस भारी,
तेरी आजादी हमको है प्यारी...
जहाँ में चाहे हम रहें ना रहें,
पर सदा ही आज़ाद रहे तू...
तेरे लिए जो कुछ कर पाऊँ,
जीवन ये सफल हो जाए...
लहू के कण कण में तू ही तू,
हम सबका पहला प्यार है तू...
अनिता सिंह
देवघर, झारखण्ड