है नमन उधम सिंह तुमको, डायर के सीने में गोली मारी है
जलियांवाले बाग काण्ड से, दिल में जली चिंगारी थी
देश प्रेम था दिल में इतना,और भगत सिंह से यारी थी
उस यारी की कीमत भी , क्या खूब तुम ने उतारी है
है नमन उधम सिंह तुमको,डायर के सीने में गोली मारी है
लेकर दिल में दर्द गुलामी का, खुद को इस काबिल किया
गोरों में रहकर भी कद,तुमने हिमालय सा हासिल किया
और पुस्तक में पिस्तौल भी, क्या खूब तुमने उतारी है
है नमन उधम सिंह तुमको, डायर के सीने में गोली मारी है
लेकर बदला भगत सिंह का, गोरों का साम्राज्य हिला डाला
जो सत्ता में अडिग रहे , उनको घुटनों पर ला डाला
फांसी चढ़ते- चढ़ते तस्वीर, भगत सिंह की उतारी है
है नमन तुमको उधम सिंह, डायर के सीने में गोली मारी है
मातृभूमि का रक्त तुमसे , बहता ना देखा गया
जलियांवाले बाग का दर्द ,भी ना तुमसे देखा गया
हर कतरे खून की कीमत, भरी सभा में उतारी है
है नमन उधम सिंह तुमको, डायर के सीने में गोली मारी है
सुखप्रीत सिंह ‘सुखी’
शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश