उपदेशों से मन होता भारी,
सूक्ति वाक्य जो समझ परे है।
पुस्तक बोझ समझ कर ढोता
विद्यालय से हर रोज डरे है।
कुछ ऐसा कर दो मेरे गुरुवर ,
मन मे रोचकता का रंग भरे ,
पथ मेरा गुरु जन सरल करें।।1।।
पाठ्य पुस्तक और पाठ्यक्रम
उत्साह मेरा बुझा रहे ।
विद्यालय में बढ़ते संसाधन
फिर भी मुझको चिढ़ा रहे ।
हर लो चिंता मेरी गुरुवर,
हम पढ़ने से है बहुत डरे,
पथ मेरा गुरु जन सरल करें।।2।।
उलट मान्यता स्कूलों की,
हमको कमतर आंक रहे ।
सभी पुस्तकों का निचोड़
गुरुजन हमको पढ़ा रहे ।
खूब पढ़ें हम सब बच्चे,
ऐसा कुछ हम काम करें,
पथ मेरा गुरु जन सरल करें।।3।।
बाल साहित्य की रुचिकर दुनिया,
छपी लिखी सामग्री पाएं
बहुत कार्टून छपे है इन पर,
बहुत ज्ञान हम इससे पाएं।
ऐसा जोर लगा दो गुरुवर,
शाला से हम नहीं डरें,
पथ मेरा गुरु जन सरल करें।।4।।
पढ़ने को हम कुछ खोजें ,
खोज बीन कर हम लिख लें
खेलें, सीखें सब गतिविधियां,
अच्छे नोट्स हम रच लें।
ऐसी दिशा दिखा दो गुरुवर
कलुष हृदय के दूर करें
पथ मेरा गुरुजन सरल करें।
भगवत पटेल ‘मुल्क मंजरी’
जिला विद्यालय निरीक्षक, जालौन उ0 प्र0