खंडित होते सपने Srijan मार्च 11, 2022 दीपक बाबू एक सरकारी नौकरी में अच्छे पद पर कार्यरत थे.अपने दोनों बेटियों की शादी स्नातक तक की सामान्य शिक्षा के बाद हीअच्छे सरका... Continue Reading
लेख्य त्रास Srijan दिसंबर 15, 2021 डायरी मैंने उन्हीं दिनों लिखना शुरू कर दिया था जब मैं दसवीं कक्षा का छात्र था। उन दिनों नैतिक, वैचारिक मनोभाव की बातें कहाँ... Continue Reading
आत्म-बोध Srijan दिसंबर 15, 2021 सुखिआ की अव्यक्त अंतर्वेदना थी, "गधे बढ़ाए हो, उसी तरह आदमी भी बढ़ा लो, इतने सारे कपड़े अकेले मैं रोज धो-धो कर कब तक ... Continue Reading