तू ऐसे कर्म कर Srijan दिसंबर 25, 2022 जहां उन बच्चों की किलकारियां दिल को सुकून दे, हर पल कुछ अच्छा करने का जुनून दे। जहां उन वृद्धों की सेवा कर आशीर्वाद मिले, उनकी... Continue Reading
मज़दूर माँ Srijan अक्टूबर 08, 2022चिलचिलाती धूप में, कांधे पर बोरी लिए। गोद में था एक नवजीवन, उरोज को मुख में लिए। चार दिन की सौरी उसकी, पर घर भी न ठहरी। बच्च... Continue Reading
अस्तित्व Srijan जून 05, 2022 नहीं! तू रुकी नहीं है, नहीं! तू थमी नहीं है। बस थोड़ी ठहर गई है, ज़रा-सी सिमट गई है। जैसे कोई नदी, कोई रुकी हुई नदी। गहरी, पर ... Continue Reading