जहां उन बच्चों की किलकारियां
दिल को सुकून दे,
हर पल कुछ अच्छा करने का
जुनून दे।
जहां उन वृद्धों की सेवा कर
आशीर्वाद मिले,
उनकी एक मुस्कुराहट से
तेरा दिल खिले।
तू ऐसे कर्म कर!
तू ऐसे कर्म कर!
जहां उन बिन बोलों की
तू आवाज़ बन सके,
उनके दर्द,उनकी तकलीफ
को समझ सके।
जहां उस भूखे को
दो रोटी तू दे पाए,
उसकी आत्मा को तृप्त
तू कर पाए।
तू ऐसे कर्म कर!
तू ऐसे कर्म कर!
देव नहीं मानव
तू बन,
कानों को खोल
शोर को सुन।
जहां दो पल खुशी
किसी को दे पाए,
जहां तेरे कर्मो से
यादगार दिन बन जाए।
तू ऐसे कर्म कर!
तू ऐसे कर्म कर!
- दीक्षा शर्मा
गोरखपुर,उत्तर प्रदेश