नदी की धारा Srijan जनवरी 23, 2021 ग़म के अंधेरों से घबराकर थक कर कहीं बैठ ना जाना, नदी की धारा की तरह बहते जाना है, दुख रूपी धूप से घबराकर सुख की छाया तले पथिक तू क... Continue Reading