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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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रविवार, 17 नवंबर 2019

अग्निसार क्रिया



              अग्निसार क्रिया:  इस क्रिया के करने से पेट  के समस्त विकार दूर होते हैं पुरानी से पुरानी कब्ज टूट जाती है पेट की अतिरिक्त चर्बी समाप्त होती है नाभि के आसपास जमा हुआ पुराने से पुराना मल दूर होकर पाचन क्रिया  सुदृढ़ बनती है सुबह शौच जाने के बाद खाली पेट यह क्रिया करनी चाहिए अल्सर के मरीजों को यह क्रिया नहीं करनी चाहिए |
           विधि : सबसे पहले पेट का खाली होना आवश्यक है उसके उपरांत किसी भी सुखासन या पद्मासन में बैठे मन को शांत करती हुई गहरी लंबी सांस भरें  छोड़ें एक व दो गहरी लंबी स्वास के प्राणायाम करें पूरा श्वास बाहर निकाल कर नाभि को शक्ति के साथ अंदर की ओर संकुचित करें फिर मूलबंध लगाएं तथा नाभि को आगे पीछे चलाएं अर्थात नाभि का संकुचन विमोचन करें ऐसा करते समय आपकी पूरी श्वास बाहर हो पेट बिल्कुल वायु मुक्त हो |
¨ योगाचार्य राजसिंह पुण्डीर (प्र०अ०)
प्रा०वि० ख्यावडी, थानाभवन, जनपद-शामली

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