मेरी माँ

सृजन
0

मां.......

तुम ऐसी क्यों हो गई मां,

कितनी कष्ट सह जन्म दिया मुझे मां,

 सब से बचा सहेज कर रखी मां,

दुःख भी सहे होंगे मेरे लिए,

तब तेरी कष्ट दिखता नहीं था मुझे,

क्योंकि मै छोटी थी मां।

अपने हाथों से पाला मुझे,

गोद में उठा सब जगह घुमाया था,

अब वो तेरी हाथ कांपता क्यूं है मां,

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

रात भर जग कर मुझे देखना,

तेरी आंखों में नींद रहते हुए लोरी गा कर सुलाया था मां,

अब वो तेरी आंखों से मै क्यूं नहीं दिखती,

तेरी आंखें यूं कमजोर क्यूं हो गई मां,

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

धीरे धीरे मै तुमसे और लंबी होती गई,

तुम में साथ लग कर खड़ी हो खुद को बड़ी समझ खुश करती रही,

पर आज कमर तेरी झुक गई,और मुझसे छोटी होने लगी मां,

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

मुझे खाना बनाना सिखाया,

 नमक तेल का माप बता,

 कच्चा अधकचा का रहस्य भी बताया,

पर आज वो माप ना समझ कर सब भूल मुझसे क्यूं पूछ रही हो मां,

 याद है वो मुझे पहली बार साड़ी पहनना,

कैसे तुमसे सीखी थी मैं पल्लू बांधना,

साड़ी लपेटने का गूढ़ सिखा,आज उसी में लिपट फंस क्यों रही हो मां,

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

जब तुम अपने घने बालों को कंघी किया करती थी,

तो आईना भी देख तुम्हें शरमाया करता था,

तेरे बाल तेरी खूबसूरती को चार चांद लगाता था,

फिर आज तेरे बाल यूं सफेद और उलझे क्यूं हो गई मां,

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

नहीं जानती थी मैं सजना संवरना,

तुम्हारे द्वारा दर्पण से परिचय करवाना,

मुझमें देख अपनी परछाईं खुश हो बलाई लेती थी मां,

 आज अपनी ही सूरत दर्पण में देखने से क्यूं झिझकती हो मां,

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

अपनी चमकती काया को छोड़,

झुर्रियों से दोस्ती क्यूं कर ली मां,

तुम कल जैसी थी आज वैसी ही क्यूं नहीं हो मां,

डर लगता है वक़्त को यूं करबट बदलते देख,

क्या मै भी तेरी जैसी ही हो जाऊंगी मां?

तुम ऐसी क्यों हो गई मां?

 

प्रिया सिन्हा

राँची,  झारखण्ड

 

 

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!