बीत गया वो साल पुराना
जिसमे थी अंधियारी ।
कोहराम मचा था हर कोने में
दिन लगते थे भारी।।
पतझड़ जब आता है तो,
बसंत का होता आना ।
बसंत अपना नया साल है
पतझड़ साल पुराना । ।
आशा के दीप जलाकर ख़ुशी मनाया करते हैं ।
आओ हम सब नव वर्ष का स्वागत करते हैं।1।
बीते साल में खोया ज्यादा
कम हमने है पाया ।
कई हमको छोड़ गए ,
खूब रही तेरी माया ।।
शांति रहे चहुंओर प्रभु जी ,
सुन लो अर्ज हमारी ।
खुशहाली हरदम बनी रहे ,
नहीं रहे लाचारी ।।
जीत जायेगें हर मुश्किल से फिर क्यों डरते हैं।
आओ हम सब नव वर्ष का स्वागत करते हैं।2।
"मुल्क मंजरी"
भगवत पटेल
2/C-9, वृन्दावन कालोनी, लखनऊ