जिंदगी के रंग निराले

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जिंदगी के रंग हैं बड़े अनोखे

कहीं बफादारी तो कहीं हैं धोखे

सही राह पर जो निकला उसने मंजिल पाई

मिलते नहीं बार बार सबको ऐसे मौके

कहीं पर प्यार है तो कहीं तकरार है

अपना अपना सबका नसीब है

पास होक भी कोई पास नहीं

कोई अमीर है तो कोई गरीब है

कोई दो वक्त की रोटी के लिए

दिन रात पसीना बहाता है

तो किसी को ए सी में बैठ कर भी

बिना कुछ किए सब कुछ मिल जाता है

कोई बच्चों के लिए हो रहा परेशान

तो किसी के बच्चे नहीं रखते उनका ध्यान

माता पिता को सर आंखों पर कोई है बिठाता

तो बृद्धाश्रम में छोड़कर कुचलता उनके अरमान

किसी की उम्र कट गई गरीबी में

खुश रहता है फिर भी हर पल

और कोई खुशी के लिए तरस रहे

निकल गई ज़िन्दगी करते कल कल

किसी को लाल रंग अच्छा लगता

कोई होली है मनाता कोई रंगों से डर जाता

गुलाबी रंग है किसी को सुहाता

दूसरों की सेवा में कोई जिंदगी बिताता

किसी को दूसरों को तंग करने में मज़ा है आता

गुस्सा है किसी को हर बात पर आता

बात बात पर है कोई रूठ जाता

तो कोई है शांति को अपनाता

कोई पैदल चलता है किसी के पास कार है

किसी के साथ कोई नहीं किसी के पास यार है

यह ज़िन्दगी के रंग भी है देखो निराले

किसी को यहां नफरत है मिलती किसी को प्यार है

रविंदर कुमार शर्मा

घुमारवीं, बिलासपुर

हिमाचल प्रदेश

 

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