माटी

सृजन
0

इस एकमात्र ग्रह पर

माटी में ऐसी ताकत है ।

इस पृथ्वी पर सब

नश्वर है, पर जीव

यही पर जीवन पाती है ।

 

इस धरा पर सब

धरा ही रह जाता है।

जीव यहां जो आती है,

वो सब, सब कुछ

पा लेने कि अभिलाषी है ।

 

धरती जीवन देती है

प्रकृति का ये उपहार है ।

जीव असंख्य यहां

पर शायद इंसान

सबसे लालची है ।

 

प्रकृति ने कितना दिया

इसको समझना बाकी है ।

अंतरिक्ष के खाक छान रहे हैं

पर, यहां इस माटी को अपने

करतूतों से मिट्टी में मिला रहे हैं।

 

अपनी माटी को मां मानने वाला

मनुष्य प्रकृति को कष्ट देता है

आओ हम मिल कर प्रण करे,

प्रकृति को हरा भरा करना है

अपने कार्यों से इसे सफल बनाना है।

 

 

मलय कुमार मणि

सॉफ्टवेर इंजिनीयर

नौएडा, उत्तर प्रदेश 

 

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!