का हाई स्कूल का परीक्षाफल भी आने वाला था । राहुल को परीक्षाफल की उतनी चिन्ता नहीं थी उससे कहीं ज्यादा उसके पिता कमलेश को थी । कमलेश एक स्कूल में चपरासी था लेकिन वह अपने बच्चे को चपरासी नही बनाना चाहता था । वह उसको इंजीनियर के रूप में देखना चाहता था ।इसके लिये वह फैक्ट्री में ओवर टाइम काम भी कर रहा था । दिन में चपरासी जी नौकरी और शाम 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक फैक्ट्री में नौकरी । हर मां बाप की आशा होती है कि उसकी संतान पढ़ लिखकर उसको अच्छा ओहदा मिले । कोई मां बाप अपनी संतान को चपरासी नहीं बनाना चाहता है । कमलेश के मां बाप तो बचपन में ही गुजर गए । कमलेश की सारी पढ़ाई का खर्चा उसके बड़े भाई ने उठाया । कोई कसर पढ़ाने में नहीं छोड़ी गई परंतु कमलेश का मन पढ़ाई में नहीं लगा ।
बीटेक की पढ़ाई में लगभग 3 लाख वार्षिक का खर्चा था उसने अपने शौक को त्याग कर पैसा भी एकत्रित कर लिया था ।अब सारा दारोमदार राहुल के परीक्षाफल पर था । वह इसी उधेड़बुन में था कि अचानक गुड़िया चिल्लाने लगी -"भैया का परीक्षाफल आ गया ।भैया का परीक्षाफल आ ।गया । मेरा भी परीक्षाफल आ गया । " पर यह क्या परसेंटाइल 85 ही आई । 90 परसेंटाइल पर ही अच्छे संस्थान मिल सकते है ।गुड़िया तो 90 परसेंटेज से पास हो गई थी । कमलेश का पारा सातवें आसमान को छू गया " यह क्या ! तुमको पढ़ाने के लिये सब प्रयास किये ।80,000 रूपए की कोचिंग भी कराई । 12 वीं तक अच्छे स्कूल में पढ़ाया ।और परीक्षाफल ऐसा !"
लगातार वह राहुल को डांटें जा रहा था । पर नई पीढ़ी शायद सुनने को आदी नहीं थी अब राहुल के सब्र का बांध भी टूट गया "आप मुझे कोश रहे है । आपने क्या किया ? जब ताऊ जी ने जी जान से आपको पढ़ाया और आप भी ताऊ जी की आशा पर खरे नहीं उतरे । चपरासी ही बन पाए और आप मुझसे आशा करते है ।" राहुल का अप्रत्याशित उत्तर सुनकर कमलेश की बोलती बंद ---- "। वह अवाक सा रह गया था ।
बेटे का अनुकूल परीक्षाफल न आने से अब उसकी नजरें बेटी पर जा टिकीं ।
डॉ०कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
राव गंज ,कालपी
जालौन , उत्तरप्रदेश