बहुत बढ़ी हैं जाड़ा अब तो, इसको दूर भगाओ ना।।
गाय बैल अरु कुत्ता बिल्ली, ठंडी में वो भी रोते।
थर थर थर थर काँपे सारे, नहीं रात में वो सोते।।
लुका छुपी का खेल खत्म कर, अब आगे तुम आओ ना।
बहुत बढ़ी है जाड़ा अब तो, इसको दूर भगाओ ना।।
आग तापते हम तो सारे, घर अंदर घुस जाते हैं।
स्वेटर मफलर साल ओढ़ कर, गर्म हवा भी पाते हैं।।
कुत्ता बिल्ली सहमे बैठे, जाये कहाँ बताओ ना।
बहुत बढ़ी है जाड़ा अब तो, इसको दूर भगाओ ना।।
बेजुबान ये जीव जन्तु सब, ठंडी में मर जाते हैं।
किसे बताये अपनी हालत, रातों को चिल्लाते हैं।।
देखो हालत इनकी दादा, थोड़ा तरस दिखाओ ना।
बहुत बढ़ी है जाड़ा अब तो, इसको दूर भगाओ ना।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम, गरियाबंद
छत्तीसगढ़