बादल

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बादल आये देखने, जंगल की हालात।

गिरते आँसू मेघ से, करते हैं फिर बात।।
करते हैं फिर बात, पेड़ सब ठूँठ पड़े हैं।
पौधे सारे नष्ट, सभी अब रूठ खड़े हैं।।
सुन जंगल की बात, मेघ फैलाये आँचल।
झूम उठे सब पेड़, धन्य वो करते बादल।।

भारी वर्षा हैं कहीं, कहीं तरसते लोग।
मानवता के कर्म का, करते सारे भोग।।
करते सारे भोग, काट जंगल अरु झाड़ी।
नहीं दिखे अब पेड़, सभी घर बनते बाड़ी।।
सुन धरती की बात, घिरे देखो जलधारी।
नहीं दिखे अब फूल, होय पीड़ा अब भारी।।

प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
, गरियाबंद
छत्तीसगढ़

 

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