प्रकृति - पूजन

सृजन
0

 प्रकृति है साक्षात दैवी शक्ति

जिससे मिलता है,

प्राणियों को अक्षय वरदान |

शाश्वत चिरंतन दीप्तिमान

कहते हैं,

पेड़ हैं भगवान के रोंये |

नदियाँ हैं उनकी नाड़ियाँ,

पहाड़ है उनका मस्तक,

पेड़ काटे जा रहे हैं |

नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं

पहाड़ डायनामाइट से,

उड़ाए जा रहे हैं,

सोचें, क्या यह नहीं है ?

प्रकृति के साथ अन्याय,

मानव क्यों करता है हाय - हाय?

क्या प्रकृति नहीं होगी कुपित ?

प्राणी नहीं होगा दुःखित,

प्रकृति करती है हमारा पोषण,

हम करते हैं उसका शोषण |

समझें प्रकृति का पूजन - कर्म,

निभाएँ पर्यावरण संरक्षण का धर्म |

 गौरीशंकर वैश्य विनम्र

117 आदिलनगर, विकासनगर

लखनऊ 226022

 

 

  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!