असंभव को संभव कर दे,
प्रयास नहीं निष्फल होगा,
मनुज श्रेष्ठ है, इस जग में
ये मिथ्या नहीं कथन होगा।
ना देख ऊंचाई तू नभ की
बस कर्म की सीढ़ी चढ़ता जा
जब अटल इरादे हों तेरे,
ये कथन तभी तो सच होगा।
मनुज श्रेष्ठ है.…...
पर्वत छोड़ेगा राह तेरी
तेरा अंधकार को भय होगा,
जब जोर लगेगा मानव का,
तो धरती गगन एक होगा।
मनुज श्रेष्ठ है.........
ना डर तू प्रचण्ड तूफानों से
ना आंधी और बवंडर से,
निर्बल का बन सबल मनोबल
तू गिरते का संबल होगा,
मनुज श्रेष्ठ है......