दस्तक देता कह रहा,
मद मस्त बसंत,
लिपटकर मार्तंड की,
नवसृजित नवोदित संवत्सर के,
आंगन में जलती रहे,
मधु, अद्भुत प्रेमजोत।
नवरात्रि के मुदित आंचल में,
उम्मीदों उमंगो की ,
सौम्य सुरभित,
इठलाती तरुणाई से,
कण कण हो जाए,
प्रफुल्लित पुष्पित ओतप्रोत।
मधु वैष्णव ‘मान्या’
जोधपुर, राजस्थान,