किसान

सृजन
0

 

मेहनत है शस्त्र मेरा
हल - बैल - ट्रैक्टर और
बीज खेती के
साधन हैं मेरे
प्रकृति का मैं भी रक्षक हूँ

परिवार का साथ ही
मनोबल है मेरा
तपते, बरसते हर मौसम में
अन्न उपजाता हूँ मैं
अपने देश की उन्नति का
साधक हूँ मैं भी
धरती का सेवक हूँ
उगाता हूँ फल फूल अन्न आदि
और माँगता हूँ केवल
अपने परिवार के लिए प्रेम
और सम्मान
हाँकिसान हूँ मैं
एक इंसान हूँ मैं;
करती हूँ नमन मैं
धरती के हर किसान को
किरदार किसान का पाकर
करता है जो नित सेवा
धरती माँ और हर जीव की

                                                                 आचार्या नीरू शर्मा
                                                            
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!