कड़कड़ाती ठंड में गर्म रजाई सी लगती है।
हर परिस्थिति के थपेडों से तू मुझे बचाया करती है,
ओ मेरी माँ तू कैसी कमाल की जादूगरनी है।
छा जाए जब भी अंधेरा दीपक की लौ सी तू जलती है,
कितनी भी पथरीली हों राहें, न मेरा संतुलन बिगड़ने देती है।
सोती हूं तो तेरी लोरी कानों में गूंजा करती है,
ओ मेरी माँ तू कैसी कमाल की जादूगरनी है।
अपने आंचल के तले मेरे सारे ऐब छुपाया करती है,
अकेले में तू मुझको उनका एहसास दिलाया करती है।
उंगली उठे अगर मेरी तरफ कैसे तू उसे तोड़ा करती है,
ओ मेरी माँ तू कैसी कमाल की जादूगरनी है।
नकारात्मकता जब जीवन पर हावी होने लगती है,
अपने जीवन में जब मैं हार मानने लगती हूं।
ज़ोर से जकड़ झकझोर मुझे नींद से जगाया करती है,
ओ मेरी माँ तू कैसी कमाल की जादूगरनी है।
गुंजन कौशल
प्राथमिक विद्यालय बुंटा
थानाभवन, शामली