सुंदर अविरल।
मनोरम अनुपम निरुपम होते हैं,
प्रसून धवल।
कांटों संग खिलकर भी,
रखते भाव अवीर।
फूलों से महके जिंदगी ,
हरे जन की पीर।
मानव जीवन में खिलता,
सत्कर्मों का फूल।
बुरे कर्मों से मानव जीवन में,
लगती धूल।
आदर्शों की महक फैले,
नभ को चीर।
दृढ़ विश्वास भरकर साधो,
लक्ष्य का तीर।
भीनी भीनी सुगंध से खिलता
मन चंचल।
जो फूल सी लो बना जिंदगी,
काहे हो हलचल।
स्वर्णिम आभा रवि लिए ,
आए नव भोर।
फैले उज्ज्वल किरणें ,
उत्साह चारों ओर।
खिलकर हिलना मिलना,
मिल कर खिलना।
मानव का सच्चा धर्म ,
नेक पथ पर चलना।
भिन्न भिन्न रंगों से सराबोर ,
है ये संसार।
मानव जीवन भी धरे ,
भिन्न भिन्न प्रकार।
जीवन में खुशियों की सुगंध ,
फैले पल पल।
समीर को भी सुगंध फैलाने मे,
लगता चंद बल।
अंजनी अग्रवाल ओजस्वी
यू पी एस सेमरुआ
सरसौल कानपुर नगर