.

सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

नवीनतम

शनिवार, 12 मार्च 2022

अपनी बात

 

        आज फिर से विश्व विकट परिस्थितियों से घिर गया है | मानवता कराह रही है | बेबस मासूम से नन्हें-मुन्हें बच्चे समझ नहीं पा रहे कि उन्होंने क्या गलती कर दी ? युवा व्याकुल हैं और वृद्ध हताश | प्रश्न यह नहीं कि गलती किस देश की है ? प्रश्न तो यह है कि क्या सभ्य समाज में इस प्रकार की हिंसा को स्थान दिया जाना चाहिए ? आज हम अन्तरिक्ष में चक्कर लगा रहे हैं | उसे तलाश रहे हैं जो पता नहीं हमारे लिए कल्याणकारी है भी या नहीं ? लेकिन धरती पर रहने वाले दूसरे मनुष्यों को कष्ट दे रहें हैं, उनका जीवन छीनने पर उतारू हैं | क्या सच में इस विश्वयुद्ध का कोई हल विचार-विमर्श से नहीं निकाला जा सकता ? यदि नहीं तो फिर संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं की क्या प्रासंगिकता रह गयी है ?

कुछ देश तो इस युद्ध की आग में घी डालते जा रहे हैं | क्या दूसरे देशों के नागरिकों का जीवन इन देशों के लिए इतना तुच्छ है | एक तो पहले ही पिछले दो वर्षों में मानव जाति को कोरोना नाम के विषाणु ने बहुत दुःख और आँसू दिए और अब ये विनाशकारी युद्ध | लेकिन इन परिस्थितयों में जैसी भूमिका हमारे देश की रही है वो नि:सन्देह शेष दुनिया के लिए सबक ही है | हम आज भी अपनी उस प्राचीन सोच का निर्वाह कर रहे हैं जो शेष विश्व के लिए आज भी नवीन है -

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया |

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुख भागभवेत् |

क्या दुनिया के किसी और कौने में किसी गैर-भारतीय भाषा में ये महान सोच कभी लिखी गयी है ? शायद नही ... | ‘वसुधैव कुटुम्बकम्का विचार केवल भारतवर्ष जैसी पुण्य भूमि में ही उपज सकता है | लेकिन यहाँ एक बात और उल्लेखनीय हो जाती हैश्रीराम विपरीत परिस्थितियों में राजपाट, आभूषण और राजसी वस्त्र सबकुछ तो त्याग देते हैं लेकिन धनुष-बाण का त्याग नहीं करते | तभी तो वो सर्वत्र शान्ति  की  स्थापना कर पाये | श्रीकृष्ण मधुर बाँसुरी तो बजाते रहे लेकिन जब भीष्म पितामह अन्याय करने पर उतारू हो जाते हैं तो वे अपने शस्त्र को भी धारण कर लेते है | हमारा देश भी तो इसी मार्ग पर चल रहा है , सशक्त हो रहा है लेकिन शान्ति की स्थापना और मानवता की रक्षा के लिए | ऐसा हमने कोरोना महामारी और अब चल रहे युद्धकाल में करके दिखाया भी | कामना है कि विश्व में मानवता एकबार फिर से खिलखिला उठे |

होली के पावन पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | आने वाले भारतीय नवसंवत्सर के लिए भी ढेर सारी मंगलकामनायें |

- जय कुमार

 

सर्वाधिक लोकप्रिय