डाली की शोभा से तुम
क्यों कर शोभित होंगे,
अपनी दिशा और दृष्टि से
लोक रंजक कब तुम होंगे ।
किन सुविधाओं में जीवन बीता
क्या ठाठ कर जीवन रीता,
नहीं माने रखता जीवन में
किस-किस को तुमने लूटा ।
पशु पक्षी और मानव जन
प्रकृति के अंग रहे सब,
तुम्हें देख कितने हरखाए
उन्हें देख कब खिल उठे तुम ।
माने रखता है मरने वालों का
सब के दुख-दर्द हरने वालों का,
सर्वस्व लुटाकर जो जन जीते हैं
वे सदा अमीट छाप छोड रीते हैं ।
डॉ0 भरत पटेल
पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग,
नीमा गर्ल्स आर्ट्स कोलेज, गोज़रिया गुजरात
सी/ 203, नेस्ट हाऊस, न्यू सीटी लाईट रोड़,
डी.आर.बी. कोलेज के सामने, अलथाण,
सूरत , गुजरात