संसार ने दिया क्या

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 ये सौभाग्य हमारा है

कि हम इस संसार में आये,

खुशियों के सूत्रधार बने

रिश्तों के आयाम बुने।

पर हमनें संसार को क्या दिया

शायद ही सोच पाये,

क्योंकि हमनें अपनी भूमिका से

शायद न्याय नहीं किया,

संसार में आने का मतलब जो था

पूरा करने का विचार तक नहीं किया।

हमनें संसार को

फुटबॉल का मैदान समझ लिया,

मर्यादा को फुटबॉल समझ

ठोकर पर ठोकर दिया।

बहुत कराहते हैं हम

संसार ने हमें क्या दिया?

जरा दिमाग पर जोर डालिये

फिर बताइए संसार ने क्या नहीं दिया?

कम से कम इतनी तो अकल

लगाइए न हूजूर

एक हाथ देकर ही

दूजे से लेना सीखिए हूजूर।

संसार ने तो पल पल

आपको दिया ही है,

भ्रम का शिकार हो आप

तनिक अहसास न हुआ है,

 जो कुछ आपके पास है

संसार ने ही दिया है

प्रकृति, जल, जंगल, जमीन

वायु, अन्न, वस्त्र, प्रकाश

प्राकृतिक संतुलन, धूपछाँव

जाड़ा, गर्मी, बरसात

रिश्तों का आभास

आपकी हर जरूरत का इंतजाम

सब इस संसार ने ही किया है।

बदले में आपने  संसार को

घाव ही घाव दिया है,

सिर्फ़ अपने स्वार्थ की खातिर

संसार को घायल किया है,

अपने घमंड, अतिरेक में सदा

संसार की पीड़ा को

नजरअंदाज किया है,

खुद को संसार से ऊपर ही नहीं

अपने आपको ईश्वर,

जगत नियंता समझ लिया है,

ऊपर से रोना ये भी कि

संसार ने दिया क्या है?

 

 सुधीर श्रीवास्तव

       गोण्डा, उ.प्र.

 

 

 

 

 

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