सनातन धर्म सनातन संस्कृति ने सदा से ही विश्व कुटुंबकम् की भावना को फैलाया है। हिन्दू धर्म ने विश्व के सभी धर्मों की अच्छाईयों को समाहित किया। इसीलिए आज भी अपनी अखंडता के साथ यह प्रदीप्तमान है। सभी धर्म अंधकार से प्रकाश की ओर अज्ञान से ज्ञान, बुराई से अच्छाई की ओर ले जाते हैं। जिस प्रकार एक मंजिल पर पहुंचने के लिए विभिन्न मार्ग हो सकते हैं,उसी प्रकार जीवन में अच्छाई और पवित्रता लाने के लिए किसी भी धर्म का अवलम्बन किया जा सकता है। तभी तो किसी ने कहा है
" पथ का हो बंटवारा, मंजिल को तुम मत बांटो
किरणों का हो बंटवारा, सूरज को तुम मत बांटो"
परंतु लोगों ने धर्मों के प्रभुत्व की लडाई लडी। मध्य एशिया के देश सालों से इस्लाम धर्म के सच्चे प्रतिनिधि होने के नाम पर लड रहे हैं। जिसमें न जाने कितने लोगों की जान चली गई तथा कितने ही लोग विस्थापित की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की कट्टरता किसी से भी छिपी नहीं है। अमेरिका की सेना के वहां से निकलते ही तालिबान के क़ब्जे ने आतंकवाद की नयी पटकथा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इजरायल और फिलिस्तीन के झगड़े में इस्लाम और यहूदी धर्म परस्पर संघर्षरत हैं।इन दो धर्मों की सदियों पुरानी लडाई आज़ भी जटिल है। स्वतंत्रता प्राप्ति और विभाजन के पश्चात् भारत देश भी धर्म और जाति आधारित आतंकवाद की विभीषिका से जूझ रहा है। जिससे भारत की सह अस्तित्ववादी संरचना प्रभावित हुई है। इसके कारण वंचित, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक एवं संवेदनशील के बीच कभी न भरने वाली खाई बनती जा रही है। जिससे आर्थिक विकास भी प्रभावित होता है।
धर्म और आतंकवाद के बीच सीधे जुडाव को नहीं देखना चाहिए। धार्मिक कट्टरता, सांप्रदायिकता, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक उत्पीड़न एवं बहुआयामी वंचनाएं ही कालांतर में परिवर्तित हो हिंसक रूप धारण कर लेती है।अतः: देखा जाए तो धर्म की संकीर्ण व्याख्या करते हुए जब इसका प्रयोग स्वार्थ पूर्ति हेतु
क्यों मानव तू इतना जहर लिए फिरता है
दानव बनकर दुनिया को किसलिए छलता है
सौहार्द का पथ अपनाकर एक बार तो देख
यह जगत सारा देखों फिर अपना ही लगता है
-अलका शर्मा
शामली, उत्तर प्रदेश