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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 15 दिसंबर 2021

यादें बचपन की

 

आज मैंने गुड़ियों का खोला पिटारा ...!!

ये काजल की डिबिया

ये लाली लिपस्टिक

ये कंगन

ये गजरा

ये पायल और क्या-क्या ...?

आज मैंने गुड़ियों का खोला पिटारा ...!!

 

ये तोसक

ये तकिया

ये चादर गुलाबी

ये"अम्माँ" के हाथों का "बटुआ"और  क्या-क्या...?

 

ये बड़ी वाली गुड़िया

हरे रंग वाली....

चमकीली चुनर है

नाम इसका रानी ...

 

ये छुटकी परी है

बड़ी भोली-भाली

पीले दुपट्टे में

लगती है प्यारी ।

 

लाल लहंगे वाली

ये मंझली निराली

है गोंटा सुनहरा सितारे और क्या -क्या...??

आज मैंने गुड़ियों का खोला पिटारा ...!!

 

संग -संग रहती

करे खेल सारे

सजती -सजाती

करें मौज सारे

आपस में जाने बतियाती हैं क्या -क्या ...??

आज मैंने गुड़ियों का खोला पिटारा ...!

 

 

 

 

                     विजय लक्ष्मी  पाण्डेय 

                     आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

 

 

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