निज चरणों में स्वीकार करें।
जिस पावन रज को छूकर ,
हम बड़े हुए।
जिसके शीतल छाया में ,
हम खड़े रहे ।
वन्दन नमन अर्पित करते ,
स्वीकार करें ..!!!
हे ! ग्राम देव शत शत प्रणाम,
निज चरणों में स्वीकार करें .!!!
हम मात पिता गुरुजन वृन्द,
के पद चिन्हों पर।
करें अनुसरण
आगे बढ़ते जाएं।
दया ,शील और क्षमा ,धर्म ,
को अपनाएं ।
हे ! ग्राम देव शत शत प्रणाम,
निज चरणों में स्वीकार करें ।।
निज पौरुष उन्नत रहे हमारा,
तेरे चरणों में मस्तक झुके हमारा।
नेक कर्म कुछ करते जाएं,
संस्कार पुरखों से पाए ।
इस चाहत में दो पुष्प चढ़ाते हैं,
आप स्वीकार करें ...!!!
हे ! ग्राम देव शत शत प्रणाम,
निज चरणों में स्वीकार करें ।।
ये पुष्प हमारे झोली के,
अनुदान आपके ।
ये ‘विजय’ पुष्प हमारे जीवन के ,
अभिमान आपके ।
निज चरणों में अभिनन्दन,
स्वीकार करें।
हम करते हैं वन्दन चन्दन ,
स्वीकार करें ।
हे ! ग्राम देव शत शत प्रणाम,
निज चरणों में स्वीकार करें ।।
हे !ग्राम देव शत शत प्रणाम
निज चरणों में स्वीकार करें ।।
-विजय लक्ष्मी पाण्डेय
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश