मैं आसमान में हूं फहराता

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 तीन रंग का अपना झंडा,

 केसरिया, हरा और सफेद।

 मध्य भाग में चक्र बिराजे,

 देता गतिमान समय संदेश।

                 केसरिया कहता है हमसे,

                 सब से सर्वोपरि है  देश।

                हरा कहे खुशहाल रहें सब,

                 हो न मन  किसी के क्लेश।

भाई चारे की रहे भावना,

सच्चाई छायी रहे निर्निमेष।

शांति सभी के मन हों सदा,

किन्तु परन्तु कभी रहें न शेष।

                कहता रंग सफ़ेद सभी से,

                मन निर्मल हो पानी जैसा ।

                सभी को समेटो संग अपने,

                पर रहो सदा वैसे का वैसा।

डोरी कहती मुझसे सीखो,

साथ साथ सब मिल रहना।

रेशा रेशा मिले साथ में,

तभी बनी तिरंगे का गहना।

                कहे तिरंगा लहराकर ,

                मैं आसमान में हूं फहराता।

                पर साथ हवा का न हो तो,

              
  मैं इतना ऊंचा न उड़ पाता।

 

- हरी राम यादव, फैजाबादी

 

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