योग हमारे देश की ऋषि मुनि परम्परा की देन तथा एक प्राचीन जीवन-पद्धति है। योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है जिसका अर्थ है जुड़ना या शामिल होना। योग के माध्यम से हम मन, आत्मा और शरीर को एक साथ जोड़ते हैं। योग के द्वारा मन, मस्तिष्क और शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से मनुष्य स्वयं को स्वस्थ महसूस करता है। योग को अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि जब से मानव सभ्यता शुरू हुई तभी से योग किया जा रहा है। योग विद्या में भगवान शिव को आदि गुरू के रूप में माना जाता है। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे बढ़ाने में अपना योगदान दिया। इसके पश्चात ऋषि पतञ्जलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएँ हैं जिनकी शारीरिक मुद्राएँ और आसन उस काल में योग के अस्तित्व को दर्शाती हैं।
कोरोना के इस महामारी के दौर में जोर शोर से अच्छी "इम्यूनिटी पावर" की खूब बात की जा रही है। वह इम्यूनिटी पावर हमारे देश की रीति-रिवाज और परम्पराओं में निहित है। हमारे देश में जो बातें एक बच्चे को बचपन में सिखायी जाती है वह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने और बढ़ाने में सहायक हैं- जैसे प्रात:काल उठना,बिना दांत साफ किए कुछ न खाना, कहीं बाहर से आने पर हाथ पैर का धोना, बैठकर भोजन करना आदि। भारतीय जीवन पद्धति और परमपराएं योग का एक भाग है।
योग हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नव ऊर्जा का संचार करता है। योग के बल पर हमारे देश के ऋषि मुनि हजारों साल तक जीवित रहते थे। गुजरात के मेहसाणा जिले के छारड़ा गांव में जन्मे प्रहलाद जानी जी वर्तमान में इसके प्रत्यक्ष उदाहरण थे। उन्होंने पिछले 75 साल से न तो खाना खाया था और न पानी पिया था। वह विज्ञान के लिए अबूझ पहेली बने हुए थे।
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक विशेष कारण से चुना गया। 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया । 11 दिसम्बर सन 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था जिसे 193 देशों में से 175 देशों ने बिना किसी मतदान के स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के कारण ही आज यह दिन अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। 21 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 35 हजार से अधिक लोगों ने राजपथ पर योग किया था। योग को हमें अपने दैनिक जीवन में अपनाना चाहिए क्योंकि योग से मन, मस्तिष्क और शरीर तीनों स्वस्थ होते हैं। हमारी जीवन शैली विश्व की सर्वश्रेष्ठ जीवन शैली है। हमें पहले पश्चिमी सभ्यता, रहन सहन, खान पान को तिलांजलि देनी होगी। हमें अपने पूर्वजों के बताये हुए रास्ते पर चलना होगा। हमें अपनी भारतीय विचारधारा, रहन सहन और खान-पान को अपनाना होगा।
आज पूरा विश्व हमारी इस प्राचीन पद्धति के आगे शीर्षासन करता हुआ नजर आ रहा है। हमें योग को मात्र दिवस के रुप में मनाकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री नहीं मान लेना चाहिए। यह हमारे दैनिक जीवन में प्रातःकाल का एक हिस्सा होना चाहिए।
वर्तमान समय में इसके प्रचार प्रसार के लिए हमारे योग गुरुओं ख़ासकर पतंजलि योगपीठ के स्वामी रामदेव जी ने सराहनीय प्रयास किया। जिसके कारण विश्व स्तर पर योग को पहचान मिली। इसके लिए उनके प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।
हरीराम यादव
सूबेदार मेजर, लखनऊ