वीणा वादिनि

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   हे सरस्वति! वीणा वादिनि विज्ञ सूर्य प्रकाश दे मां।

  मानवता के पथ चला कर चित्त में उल्लास दे मां।।

  तिमिर ने चहुं ओर घेरा, दिख रहा न मां सवेरा,

  कलुष अन्त:उर से भागे हृदय सुखद सुहास दे मां।।

 

      कष्ट दीनों के हरें हम, दम्भ द्वेष नहीं करें हम,

      हे दयामयि ज्ञानमूरति सुचिर शान्ति सुवास दे मां।।

      सत्य प्रेम बढ़े धरा पर, क्षुधित सोये न कोई घर ,

      संस्कारित सुमर्यादित अनवरत मधुमास दे मां। ।

 

  मातृभूमि हो सुरक्षित, लक्ष्य कोई न अभेदित,             

  अन्नदाता हर्ष में हों मलय सदृश सुबास दे मां

  ज्ञान दीप जलादे जननी, वाग्मोती शुभित अवनी,

  शेष परहित धर्म अपना वाणी में मृदुभाष दे मां।।

 

शेषमणि शर्मा 'शेष'

जनपद-प्रयागराज

उत्तर प्रदेश

 

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