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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

माँ बहुत चिल्लाती है!

           अदिति - माँ बहुत चिल्लाती हैं दी। सच में बहुत चिल्लाती हैं । जब देखो रोक-टोक, ये मत करो, वहां मत जाओ, ये मत खाओ। थक गई हूँ। मेरी माँ ही ऐसी क्यों हैं दी? सबकी माँ जैसी क्यों नहीं?

  रिया फोन पर अदिति से कहती है- तुम कल मेरे ससुराल आना तुम्हारा मूड ठीक हो जाएगा।

  अदिति -ठीक है दी। यही सही रहेगा, नहीं तो मैं यहाँ पागल हो जाऊंगी। अगले दिन अदिति अपनी दी के यहाँ कुछ दिनों के लिए रहने चली जाती है। उसके आने से उसकी दी और जीजाजी भी बहुत खुश होते हैं। रिया के दोनों बच्चे अदिति को मांसी आप आ गयी कहकर लिपट जाते हैं और पूछते हैं हमारे लिए आप क्या लाए हो? इसपर अदिति मुस्कुराते हुए अपने बैग से दो चॉकलेट निकालकर उन्हें दे देती हैं, बच्चे थैंक यू मांसी कहकर टीवी देखने लगते हैं। तभी रिया बच्चों पर चिल्लाती है सिया और वीर तुम दोनों को कितनी देर हो गयी है अब ये सब बन्द करो और दोनों पढ़ने बैठों। रिया को चिल्लाता देख अदिति बोली- दी आप भी? प्लीज आप भी मम्मी मत बनो। रिया तुम नहीं समझोगी, मुझे भी मां बनने पर समझ आया। ये सुनकर अदिति तुरन्त रिया को टोकती हुई बस दी प्लीज आप तो बस कीजिए। अब आप भी शुरू हो गयी, माँ ही काफी थी। रिया चुप हो जाती है। रिया के साथ उसके सास-ससुर, उसकी छोटी ननद भी रहती थी। रिया उनसे मिली उन्होंने रिया को प्यार से गले लगाकर कहा अच्छा हुआ बेटा तुम आ गयी, हम सबको बहुत अच्छा लगा। अब आराम से यहां रहना। अदिति- जी मांसी जी।

  अदिति के जीजा जी उसे छेड़ते हैं और बताएं साली साहिबा क्या हाल है? पढ़ाई कैसी चल रही है? क्या प्रोग्रेस है? मुस्कुराते हुए। अदिति सब बढ़िया है जीजू। सिद्धार्थ भी मुस्कुराते हुए दोनों बहनों को छोड़कर बाहर ड्राइंग रूम में आ जाता है। अदिति बेहद खुश थी। सिया वीर के साथ उसे और भी मस्ती करने को मिल रही थी। दोनों बच्चे मांसी ये, मांसी वो, उनके साथ वो भी बिल्कुल बच्ची हो गयी थी। वो दोनों भी खुश थे। वीर ने फ्रीज से आईसक्रीम निकालकर अदिति के मुँह पर मल दी और हंसकर बोला -सिया देखो तो मांसी कितनी फनी लग रही हैं। सिया भी मांसी को ऐसे देखकर जोर से हंसने लगी। रात होते ही दोनों बच्चे अदिति से लिपटकर सो गए। सुबह-सुबह रिया की सास के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर अदिति की आँख खुली, वो अपनी बेटी आनंदी पर चिल्ला रही थी। उन्होंने उसे किचन में गैस पर रखा दूध देखने को कहा था, पर उसका ध्यान मोबाइल में गेम खेलने में लगा था और सारा दूध स्लेब से नीचे फर्श तक बहता आ रहा था जिससे वीर दूध पर से फिसलकर गिरगया और उसे चोट आ गयी। यह देखकर रिया की सांस आनंदी पर जोरों से बरस पड़ी। अदिति पहले तो गुस्से में उठी क्या यहाँ भी वही सब चीखना चिल्लाना। किन्तु बाद में उसे वीर की हालत देख कर सारा माज़रा समझ आया तो वो  भी शांत हो गयी। बाद में वो बच्चों के साथ उन्हें खुश करने में लग गयी। उनके साथ टेम्पल रन गेम खेलने लगी। उसके बाद वो बच्चों के साथ मस्ती करने लगी। तभी सिद्धार्थ वहां आ पहुंचा और अदिति से पूछने लगा -और साली साहिबा कैसा रहा आज का दिन हमे मिस किया? अदिति ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया जीजू आप भी।

   थोड़ी देर में सिद्धार्थ की मां उस पर चिल्लाती हुई आई, इतने बड़े हो गए, बाइक ठीक से खड़ी करनी नहीं आती, उसे स्टैंड पर क्यों नहीं खड़ा किया, पड़ोसी का बच्चा खेलते-खेलते जा पहुंचा और वो उसके पैर पर गिर गयी और उसे चोट आई है जाओ अभी गैराज से गाड़ी निकालो और उसे डॉक्टर के पास लेकर जाओ, माँ की डांट सुनकर सिद्धार्थ सहम गया और तुरन्त बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर गया। डॉक्टर ने सिद्धार्थ से कहा शुक्र है कोई फ्रैक्चर नहीं हुआ, मामूली चोट आई है कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी। सिद्धार्थ ने ये सुनकर चैन की सांस ली और बच्चे के माता-पिता से हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हुए उन्हें घर छोड़कर अपने घर आ गया। और अपनी मां से भी माफी मांगी। ये सब देखकर अदिति रिया से बोली दी। ये लोग क्यों इतना चिल्लाते हैं उधर माँ घर सिर पर उठा लेती है और यहां ये मांसी जी भी।

  रिया ने अदिति का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा क्या तुमने कभी ये जानने की कोशिश की कि वो क्या ये सब बेवज़ह करती हैं, या उसके बाद ये सब करके क्या वो खुश होती हैं, नहीं! अगर तुम खुद को उनकी जगह रखकर देखोगी तो पता चलेगा कि उनके ऊपर कितनी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमे संस्कारी और क़ामयाब बनाने की। हमें मुश्किलों से बचाने के लिए, हमारी फिक्र उन्हें चिल्लाने या ये सब करने पर मजबूर कर देती है, इसका मतलब ये कतई नहीं कि उन्हें हमारी फिक्र नहीं, वो हमसे प्यार नहीं करते या उन्हें इन सबसे खुशी मिलती है और ये सब मुझे भी माँ बनने के बाद पता चला कि माँ ज़िम्मेदारियों का नाम है, त्याग-समर्पण की निशानी है वो जो करती है अपने बच्चों की खुशी के लिए करती है | वो चिल्लाती है  क्योंकि वो परवाह करती है हमारी  | नहीं चाहती कुछ भी घटे ऐसा जो हमे नुकसान पहुंचाए |

  उसके बच्चों को जीवन में सफल बनाने के लिए वो पल-पल मरती है, खपती है, तुम इस बात का अनुमान भी नहीं लगा सकती जब हम सो जाते हैं वो हमें देखकर अन्तर्मन खिल उठती है हमारे बालों को सहलाना, हमें दुलार करना, उसकी ममता का कोई मोल नहीं। वो अपने लिए नहीं हमारे लिए जीती है। और हमारे भविष्य के लिए फिक्रमंद रहती है। उसकी डांट-फटकार गलत नहीं होती, उसके पीछे भी उसकी चिंता होती है ताकि उसके प्यारे बच्चे कुछ गलत न कर बैठें, खुद को या दूसरों को आहत ना कर दें, किसीको अनजाने में भी दुख ना पहुंचाएं। मैं चाहती तो उस दिन फोन पर भी तुम्हे ये सब समझ सकती थी, लेकिन उससे तुम्हे मेरी बात समझ नहीं आती, इसलिए मैंने तुम्हें यहां आने के लिए कहा, ताकि तुम समझ सको केवल हमारी माँ ही नहीं हर माँ अपने बच्चों पर चिल्लाती है। दुनिया की कोई भी माँ बच्चों की दुश्मन नहीं होती। कुदरत की वो हमें अनमोल देन है। ईश्वर खुद हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उसने इस सृष्टि के सृजन की मुख्य भूमिका में औरत को गढ़ा, मतलब मां को। रिया ने खिड़की से बाहर रिया को एक बच्चा जो दूसरों की गाड़ी साफ कर रहा था उसकी औरइशारा कर कहा, मैं सालों से इस बच्चे को देख रही हूं इसकी माँ नहीं है एकबार इससे मैंने पूछा कि स्कूल क्यों नहीं जाते? इस पर इसने कहा माता-पिता नहीं है एक छोटी बहन है अपना और उसका पेट भरने के लिये ये काम करता हूँ, मेरी मां चाहती थी कि मैं खूब पढूं, पर अब माता-पिता दोनों ही नहीं हैं तो ये काम मेरी मज़बूरी है, मुझे अंदर तक झकझोर कर ये वापिस अपने काम पर लग गया। तब मुझे माता-पिता की एहमियत और भी ज़्यादा समझ में आई। ये सब सुनकर अदिति की आंखे नम हो गई और अब वो सब समझ चुकी थी। अपनी बहन के गले लगकर बोली, सच दीदी तुम ठीक कहती हो। आज तुमने मुझे वो सीख दी शायद मैं कभी ये समझ पाती। दी मुझे आज ही मम्मी-पापा के पास जाना है। अदिति जल्द से जल्द अपने घर पहुंचकर अपनी मां के गले लगकर उनसे अपने बरताव के लिए क्षमा मांगना चाहती है। और वो जैसे ही घर पहुंचती है वो यही करती है। उसकी माँ उसके सिर पर प्यार से हाथ फैरते हुए कहती है मेरी बेटी आज बड़ी हो गयी हैं।

 


डॉ० दीपा

असिस्टेंट प्रोफेसर

दिल्ली विश्वविद्यालय

 

 

 

 

 

         

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