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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

हमको कोई चाह नहीं

 

हमको कोई चाह नहीं

चाह नहीं परवाह नहीं.

हम तो चल पड़ते मस्ती में

भले दिखे कोई राह नहीं.

 

         हम तो नन्हे मतवाले हैं

        दिल के भी भोले -भाले हैं.

        ऊपर से कोमल दिखते हैं

        अन्तर में तूफ़ाँ  पाले  हैं.

 

सहनशक्ति है गजब हमारी

मुश्किल में भी मुस्काते हैं.

भेदभाव हम कभी न करते

सबको  गले  लगाते   हैं .

 

        हम सब फूल हैं रंग बिरंगे

        देश हमारा फुलवारी  है.

        और हमारी भारत माता

        हमें जान से भी प्यारी है.

ज़मीला खातून

झाँसी , उत्तर प्रदेश 

 

 

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