जो बार-बार मन आयें।
हर बार एक प्यारी सी ,
अनुभूति छोड़ कर जायें।।
पल में हँसना ख़ुश होकर,
पल में ग़ुस्सा हो जाना।
फिर माँ का गोदी लेना,
दुलराना औ समझाना।।
माँ के आँचल की ममता,
में कुछ भी याद न आये।
मीठी-मीठी लोरी सुन,
हौले-हौले सो जाये।।
कोई लौटा दे बचपन,
ये बच्चे बन दिख जायें।
गोदी में लेकर इनको,
फिर से नाचें, इतरायें।
प्रो. सत्येन्द्र मोहन सिंह