झूले

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 घर - घर ,गाँव - गली झूलेंगे झूले ।

नन्नी - नन्नी, प्यारी - प्यारी बेटियाँ  ।।

 

झूलो के संग  बारी - बारी  झूलें 

हंसती-गाती छोटी-मोटी बेटियाँ ।।

 

पेड़ - चौपाल पर सजेंगे  ये झूले 

मस्त - मस्त सी इतराती  बेटियाँ  ।।

 

पापा-मम्मी घर-आँगन बाँधे  झूले ।

रिमझिम के संग नाचे गाए बेटियाँ ।।

 

सावन की फूव्वारों के आनन्द ले झूले ।

कभी खड़े-बैठे संग-संग झूले बेटियाँ ।।

 

मईनुदीन कोहरी नाचीज़

बीकानेरी

 

 

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