विधाओं से परिपूर्ण,पुस्तक होती ज्ञान खजाना।
कवियों की कल्पनाओं से ओतप्रोत है पुस्तक,
लेखकों की लेखनी भर देती है गागर में सागर।
जीवन भी एक खुली किताब, कभी बन्द किताब,
सुख-दुख के अनुभव से एहसास कराती है पुस्तक।
पुस्तक में होती शब्द- रस-छन्द-अलकांर-की वर्षा,
हिन्दी,विज्ञान,गणित,इतिहास सभी विषयो को समेटे।
पुस्तक से शुरू होता विदयार्थी का विद्यालय जीवन,
सभी खुशी और आनंद का होता जो अनमोल खजाना।
धर्म-कर्म की बातों को भी पुस्तक में मिलता अमिट स्थान,
देश हमारा चलता जिस लोकतंत्र से वह पुस्तक है संविधान।
देश-विदेश की संस्कृति का अनेक भाषाओं में ज्ञान कराती,
सभी का साथ निभाती तभी तो सबसे अच्छी मित्र कहलाती ।।
नीतू सिंह
मेरठ, उत्तर प्रदेश