सुन्दर बचपन

सृजन
0

 वो सुन्दर बचपन का जमाना होता था

हर पल अपना मन दीवाना होता था

नहीं थी कोई भी फिक्र जमाने की

हर खेल सदा ही कितना प्यारा होता था

 

          हर सुबह नयी हर शाम अलग थी

          रातों को नये सपने और थे हम

          जिंदगी मौज में कटा करती थी

          हर दिन स्कूल भी जाना होता था

 

ना हंसने की कोई वजह थी

ना रोने का बहाना होता था

पापा की डांट परसी बात पर

 मम्मी का मनाना होता था

 

          जब भी याद आते बचपन के दिन

          इक टीस सी उठती है दिल में आज भी

          नहीं रहा अब बेफिक्री का जमाना

          जिंदगी बनकर रह गई एक फ़साना

-आकांक्षा

मेरठ, उत्तर प्रदेश 

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!