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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

सुन्दर बचपन

 वो सुन्दर बचपन का जमाना होता था

हर पल अपना मन दीवाना होता था

नहीं थी कोई भी फिक्र जमाने की

हर खेल सदा ही कितना प्यारा होता था

 

          हर सुबह नयी हर शाम अलग थी

          रातों को नये सपने और थे हम

          जिंदगी मौज में कटा करती थी

          हर दिन स्कूल भी जाना होता था

 

ना हंसने की कोई वजह थी

ना रोने का बहाना होता था

पापा की डांट परसी बात पर

 मम्मी का मनाना होता था

 

          जब भी याद आते बचपन के दिन

          इक टीस सी उठती है दिल में आज भी

          नहीं रहा अब बेफिक्री का जमाना

          जिंदगी बनकर रह गई एक फ़साना

-आकांक्षा

मेरठ, उत्तर प्रदेश 

 

 

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