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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

भारत की बेटियां

 कब तलक  बेटियाँ  ये हमारी,

यूँ ही हरदम   मिटती रहेंगीं |

क्या नहीं इनके जीवन की कीमत,

यूँ  ही  बेदी पर  चढ़ती  रहेंगीं    |

उनके सपनों का क्या  उनकी चाहत का क्या,

किसी पर भरोसा करें ना कभी क्या |

आज इंसानियत शर्मसार हो रही है,

ये भूखे दरिन्दे हवस के पुजारी |

किसी का इन्होंने नहीं दर्द जाना,

क्या इनके घरों में नहीं कोई नारी |

ये ऊपर से टपके  नहीं जन्मे माँ से,

नहीं सीख इनको दी इनके यहाँ से |

क्या हो रहा  अब ना बेटी सुरक्षित,

बहू लाएंगे  अब ये फिर कहाँ से   |

नवरात्रि में फिर क्यों ढूँढते हैं कन्या,

क्या तब भी वही रूप दिखता अनन्या I

इनकी दरिंदगी तो अब बढ़ती ही जाती,

इक को भूल पाएं ना दूजी हो जाती ||

अब तो हर घर में अगर जन्मे बेटी,

तो बने दुर्गा काली सी जन्मे वो बेटी |

खुली सी हवा में ले साँस वो भी,

जिये बन कर दुर्गा रानी झाँसी सी बेटी ||

  -उमा शर्मा  'उमंग '

                               झाँसी, उo प्रo

 

 

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