यूँ ही हरदम मिटती रहेंगीं |
क्या नहीं इनके जीवन की कीमत,
यूँ ही बेदी पर चढ़ती रहेंगीं |
उनके सपनों का क्या उनकी चाहत का क्या,
किसी पर भरोसा करें ना कभी क्या |
आज इंसानियत शर्मसार हो रही है,
ये भूखे दरिन्दे हवस के पुजारी |
किसी का इन्होंने नहीं दर्द जाना,
क्या इनके घरों में नहीं कोई नारी |
ये ऊपर से टपके नहीं जन्मे माँ से,
नहीं सीख इनको दी इनके यहाँ से |
क्या हो रहा अब ना बेटी सुरक्षित,
बहू लाएंगे अब ये फिर कहाँ से |
नवरात्रि में फिर क्यों ढूँढते हैं कन्या,
क्या तब भी वही रूप दिखता अनन्या I
इनकी दरिंदगी तो अब बढ़ती ही जाती,
इक को भूल पाएं ना दूजी हो जाती ||
अब तो हर घर में अगर जन्मे बेटी,
तो बने दुर्गा काली सी जन्मे वो बेटी |
खुली सी हवा में ले साँस वो भी,
जिये बन कर दुर्गा रानी झाँसी सी बेटी ||
-उमा शर्मा 'उमंग '
झाँसी, उo प्रo