फ़र्क कितना

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 धमनियों का रक्त सड़कों पर नहीं

किसी की रगों में बहना चाहिए

इधर उधर क्यों बर्बाद करते हो इसे

सही जगह ही यह रहना चाहिए

 

        किसी की भी रगों में जो दौड़ रहा

        उस लहु का रंग तो लाल है

        एक दूसरे के पीछे पड़ा इंसान

        फिर क्यों हुआ बेहाल है

 

जब पड़ती है ज़रूरत किसी को खून की

दूसरे का खून चढ़ा कर ज़िन्दगी बचा लेते हैं

हिन्दू मुस्लिन सिख इसाई किसी का भी हो

बच जाए ज़िन्दगी एकदम चढ़ा देते हैं

 

        खून के रिश्तों से भी बढ़ कर बन जाते है

        वो रिश्ते जो फिर उम्रभर निभाये जाते हैं

        समय पर काम आए जो किसी के

        वही तो सच्चे रिश्ते कहलाते हैं

 

किसी की जान बच जाएगी

जो एक कतरा लहू का दान किया

कोई दान इससे बढ़ कर नहीं

खून दान करके काम महान किया

 

आदमी आदमी में कितना फर्क है

एक है जो निर्दोषों का खून बहाता है

एक वह है इंसानियत का फरिश्ता

जो खून देकर दूसरे की जान बचाता है

 
रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं

बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

 

 

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