सुन्दरता का कोई मोल नही
जब तक मीठे बोल नही।
दो पल की कश्ती है,
कब टूटे सांसों की डोर यहीं।।
वह हदय नही पत्थर है,
जिसमे करूणा सम्मान नही।
फिर रूप और रंग पर ,
क्यों तू अभिमान है करती।।
परिश्रम से हर सपना पूरा हो,
इर्ष्या घृणा से मिलता प्यार नही।
छल कपट से सपने पूरे हो,
क्यों तू ऐसे अरमान संजोती।।
मेहनत से हो मानव उद्धार,
आलस से होता कोई काम नही।
कर्मो से होती है पहचान,
मानस जीवन की यही कहानी।।
सुंदरता का कोई मोल नही,
जब तक मीठे बोल नही।
दो पल की कश्ती है,
कब टूटे सांसों की डोर यहीं।।
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी