गुलाबी शहर जयपुर की यात्रा

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यात्रा वृत्तांत :

हवा महल, जयपुर 

         जयपुर भारत संघ के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है । जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है और इसे पिंक सिटी यानी कि गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है । जयपुर शहर की स्थापना आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह ने की थी । यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है । जयपुर का क्षेत्रफल 484.6 km2 (132139 वर्ग मील) है । हवा महल, सिटी पैलेस, गोविंद देव जी का मंदिर, बीएम बिडला तारामंडल, जैन मंदिर, स्टैचू सर्किल, आमेर, जयगढ़ किला, रामगढ़ झील आदि जयपुर के दर्शनीय स्थल हैं ।

  13 मार्च को मेरी जयपुर यात्रा का कार्यक्रम बना । आगरा के ईदगाह बस स्टैंड से दोपहर 11:00 बजे जयपुर के लिए मैंने बस पकड़ ली । मेरी यह जयपुर यात्रा पहली बार थी । सफर का आनंद लेते हुए मैं करीब शाम 5:00 बजे सिंधी कैंप बस स्टैंड पर उतर गया । इलैक्ट्रिक रिक्शे से अपने गंतव्य श्री अग्रसेन भवन के लिये निकल पड़ा ।

  गली से बाहर मार्केट में सड़क पर मेरे आत्मीय श्री डॉ. नरेश कुमार सिहाग (एडवोकेट) जी मेरा इंतजार करते मिले । उनके साथ कार्यक्रम स्थल के लिए हम निकल पड़े । तभी सिहाग जी बोले, ‘सुबह से निकले हो शाम हो गई, खाना रात नौ बजे मिलेगा, चलो तुम्हें नाश्ता करवा देते हैं ।’ मार्केट का पूरा चक्कर मारने के बाद एक अच्छी सी दुकान पर गरमा गरम मोमोज का ऑर्डर दे दिया गया । फ्राई मोमोज लाल चटनी व क्रीम के साथ खूब चटखारे ले लेकर खाये ।

  अब हमें कार्यक्रम स्थल की ओर चलना था । श्री अग्रसेन भवन पहुंचने के बाद सिहाग जी ने वहां उपस्थित विद्वतजनों से मेरा परिचय करवाया । जिनमें प्रमुख थे, डॉ. सुलक्षणा अहलावत, विकास शर्मा, राकेश शंकर भारती, डॉ. सत्यनारायण चौधरी आदि । श्री सिहाग जी रूम दिखाने के लिए दूसरी मंजिल (द्वितीय तल) पर ले गये । कमरा काफी साफ -सुथरा आधुनिक साजो-सामान से सुसज्जित था । सिहाग जी चाभी थमा कर यह         कहकर कि ‘खाने पीने की व्यवस्था देख कर आते हैं, तुम आराम करो’ चले गये ।

         अब रात के नौ बजने को थे, उपस्थित महानुभाव हाॅल में एकत्रित होने लगे । मेरे पास भी फोन कॉल आ चुका था । कमरे का ताला लगाने के बाद मैं भी नीचे हॉल में आ गया । कुछ लोग पहले ही खाना खाने निकल चुके थे । मैं भी लेडीज ग्रुप के साथ चल दिया । खाना काफी जायकेदार था । खाना खाकर सोने के लिए अपने कमरे पर वापस आ गया और घोड़े बेच कर सोया । सुबह चार बजे जाग गया । नींद बहुत अच्छी आई । कुछ देर तक मोबाइल में उंगली की और फिर बाथरूम में घुस गया ।

अब सुबह के सात बज चुके थे । चाय आ चुकी थी, पीकर मित्रों के साथ मार्केट घूमने निकल गया । नौ बजे खाना खाने रेस्तरां में हम चले गये । ग्यारह बजे से कार्यक्रम शुरू हो गया । मुझे फोटोग्राफी की जिम्मेदारी दी गई । रंगारंग कार्यक्रम शाम तीन बजे तक चला । इस भव्य कार्यक्रम में इंडियन एक्सीलेंस अवार्ड 2021 ग्रहण करके मैं  काफी गौरवान्वित हुआ ।

  पांच बजे खाना खाया सबने मिलकर और फिर धीरे-धीरे सब मित्र अपने-अपने गंतव्य के लिए निकलने लगे । जो रुकने वाले थे वे श्री अग्रसेन भवन पर पहुंच रहे थे और जो जाने वाले थे वे रेस्त्रां से ही निकल चुके थे । जो लोग अपना सामान साथ नहीं लाये थे वे वापस कार्यक्रम स्थल पर चले गये । मैं भी अपने कमरे पर आ गया । मेरी बस रात दस बजे की थी । अभी मुश्किल से पन्द्रह मिनट ही हुए होंगे कि दरवाजे की कुंडी खटकी, देखा श्री सिहाग जी थे, हाथों में जोधपुर मिष्ठान भंडार निर्मित छेना मिठाई का डब्बा था। मेरी ओर डब्बा बढ़ाकर मुस्कुराते हुए बोले, ‘बच्चों के लिए ।’

   मुझे अपने साथ लेकर नीचे आ गये, हॉल के सामने शर्माजी खड़े थे । उनसे बात की और दो हजार रुपए मेरे हाथों में थमा दिए ।बोले, ‘रख लो ! किराये भाड़े में काम आएंगे, और सुनो... हम निकल रहे हैं । तुम जितने दिन रुकना चाहो रुकना, खाने वाले को बोल देंगे, खाने - रहने की दिक्कत नहीं आएगी । अगर रात को निकलो तो खाना वहां से पैक करा लेना ।’

   अब हम श्री अग्रसेन भवन पर कुछ ही लोग बचे थे । मुझे सब सूना- सूना सा लग रहा था, इसलिए मैं भी निकल पड़ा... ऑटो पकड़ा । घूमते -घामते... अंधेरे में लाइट्स की रोशनी में जयपुर शहर बहुत ही सुंदर लग रहा था । सिंधी कैंप आठ बजे पहुंच गया । काफी बड़ा बस स्टैंड है । इधर-उधर घूमते हुए कब बस का समय हो गया, पता ही नहीं चला । ए.सी. बस का सफर वह भी रात का आनंद आ गया । सुबह तीन बजे ईदगाह (आगरा) अपने गृह जनपद में पहुंच गया ।

   बहुत ही साफ-सुथरे शहर जयपुर की यह यात्रा मजेदार रही । आगरा से कम भीड़ भाड़ वाला यह शहर बहुत ही सुंदर है । शहर की आबोहवा ठीक है । वर्ष 2021 की यादगार के लिए जयपुर यात्रा हमेशा याद रहेगी । क्योंकि ठीक मार्च के बाद कोरोना महामारी ने भारत में वो कहर बरपाया कि इसे इतिहास की स्मृतियों से कभी मिटाया नहीं जा सकेगा । मानव आत्मा की चीत्कार सदियों तक गूंजती रहेगी ।

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

फतेहाबाद (आगरा) ,उ.प्र.

 

 

 

 


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