नारी

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 अबला नहीं कमजोर नहीं ना तुम बेचारी हो

आदि काल में पूजी जाने वाली तुम महान नारी हो

प्रथम पहर में उठकर तन- मन से सेवा करती है

सब के सपनों को साकार हमेशा तू ही करती है

किसी की बेटी -बहन और किसी की बनी बहु रानी है

भिन्न-भिन्न रूपों में तुमने दी कई बार कुर्बानी है

तुम प्रसन्नता का वह प्रसाद जो सब को अच्छा लगता है

मिले तुम्हें भी वात्सल्य क्यों ध्यान कोई रखता है?

तुम लक्ष्मीबाई ,तुम सावित्री ,तुम पन्नाधाय ,तुम मदर टेरेसा

बहुमुखी रूपों में तुमने अपना परचम लहराया है

हे सदा से ऋणी यह संसार तेरा भरी तुझमें खुद्दारी है

हे जग को जीवन देने वाली मौत भी तुम से हारी है

अबला नहीं ,कमजोर नहीं ,ना तुम बेचारी हो

आदि काल में पूजी जाने वाली तुम महान नारी हो

जनमानस की कुटिल मानसिकता का

बनी तुम सदा शिकार

जगजननी अपने ही अधिकार पाने को करे सबसे पुकार

पुरुष प्रधान देश में तुमने लोहा अपना मनवाया है

जो करते थे पुरुष वह सब कर दिखलाया है

स्वर्णिम भविष्य की तुम आशा भरी चिंगारी हो

अंधेरों को जो कर दे रोशन तुम वह मसाल निराली हो

 स्नेह प्रेम और करुणा का तुम सागर हो

शक्ति सहनशीलता और ममता से भरा गागर हो

नारी सशक्तिकरण का मतलब समझना अभी बाकी है

कुछ बूझे चिरागों को रोशन करना अभी बाकी है

अबला नहीं ,कमजोर नहीं, ना तुम बेचारी हो

आदिकाल में पूजी जाने वाली तुम महान नारी हो

संजू तोमर (सहायक अध्यापिका)

प्राथमिक विद्यालय सोंटा

शामली, उत्तर प्रदेश 

 

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