माता के वात्सल्य में , बचपन कोमलता लिये खिलता है ,
स्वर्ग है बाबुजी का आशीष , संस्कार की छठा जिसमे है ,
आचरण का वातावरण है , अनुशासन की घटा जिसमे है ...
स्वर्ग है भारत जन्मभूमि ,देश के लिये होते सब कुर्बान है ,
तिरंगे की यहां अपनी है मर्यादा , होती अनोखी शान है ,
स्वर्ग है यहां कि "अनेकता मे एकता " वाली संस्कृति ,
अलग अलग बोली ,भाषा,धर्म फिर भी सब एक है ,
विविधता है अलग अलग ,अलग रीती और रिवाज
बुद्धि ,कौशल में है तेज , काम उनका आता विवेक है ,
स्वर्ग यहां की देवभूमि है ,स्वर्ग यहां की माटी है ,
स्वर्ग यहां पे मनोरम दृश्य लिए ,अपनी कश्मीर घाटी है ,
स्वर्ग है धरा वही जहां पे, परम्परा हो सनातन की ,
पाप और पुण्य के कर्म से , मोक्ष वाले मनुष्य तन की ..
--कृष्णा गुजराती
वाराणसी, उत्तर प्रदेश