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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 1 जून 2021

नाग देवता

  
          पिछले कुछ दिनों से जब भी मैं पूजा करती तो मंदिर में रखे सभी तस्वीरों में भोलेनाथ की तस्वीर की कमी महसूस करती थी। वैसे तो हर भगवान की तस्वीर को रखने के बावजूद भी मेरा मानना है कि ईश्वर तो एक ही है नाम अनेक है ,पर न जाने क्यों उस दिन शिवजीकी तस्वीर मंदिर में रखने की इच्छा इतनी बलवती हो गई कि शाम को मैं अपने पति विवेक के साथ बाजार जाकर बड़ी ही मनमोहक भोलेनाथ की तस्वीर ले आई पर तब मुझे  कहाँ मालूम था कि शिवजी खुद मुझे दर्शन देने आने वाले हैं।

मैंने तस्वीर को अपने मंदिर में सजाया। संध्या आरती की । दूसरे दिन विवेक को कुछ काम से जल्दी जाना था।

 मैंने जल्दी-जल्दी उनका नाश्ता बनाया और  दोपहर के लिए  टिफिन पैक कर दिया। रवि ने आवाज दी -"मां मुझे भी कुछ हल्का फुल्का नाश्ता दे दो, मुझे भी क्रिकेट खेलने जाना है "।

मैं अपने काम को जल्दी जल्दी खत्म कर अपनी अधूरी पेंटिंग को पूरा करना चाहती थी । मेरी बाई भी आज जल्दी काम खत्म करके चली गई। पूजा करते वक़्त  बार-बार मेरी नजर   शिव जी के गले में  लिपटे नाग की तरफ जा रही थी। मैंने बड़े ध्यान से देखा खूबसूरत होने के साथ-साथ वो बडा डरावना लगा। पूजा के बाद नाश्ता कर मैं अपनी अधूरी पेंटिंगबनाने लगी। मैं पेंटिंग बनाने में इतनी रम गयी  थी कि ध्यान ही न  रहा कि बाई के जाने के बाद दरवाजा खुला है ।

थोड़ी देर बाद  मैंने  दरवाजा बंद कर दिया और पेंटिंग बनाने लगी ।  थोड़ी  देर  बाद मुझे " हिस्स -हिस्स " की  आवाज़ सुनाई पड़ी ।  मैं  सोचने लगी  कि ये कैसी आवाज है। घर में तो मेरे अलावा कोई है ही नहीं । अभी किचन में भी कुछ बन  नही रहा फिर यह आवाज कहां से आ रही है।

सामने  देखते ही मानो जान निकल गई । एक बड़ा सा नाग  मेरे एक कदम की दूरी परकुंडली मार मेरी तरफ गौर से देख रहा था। मैंने चाहा जोर से आवाज  लगाऊँ  पर   आवाज़  हलक में  अटक कर रह गयी। दरवाजा खुले रहने की वजह से   शायद नाग अंदर आ गया होगा ।मैंने पहली बार इतनी नजदीक से  इतना डरावना  साँप   देखा  था। धीरे से दरवाजे को खोल वॉचमैन को आवाज दी। उसके आते हैं मैं घर से बाहर निकल गई ।उसने तुरंत स्नेक कैचर को फोन कर दिया । लगभग एक घंटे में वो आ गया। नाग को पकड़ डब्बे में बंद कर दिया । मैंने उसे कहा -""इसे मारना नहीं "।

उसने कहा -"नहीं मैडम ,हम इसे मारते नहीं हैं, सुरक्षित जगह पर छोड़ देते हैं"।

मैंने विवेक को फोन कर सारी बात बताई। वापस घर में आकर बिस्तर पर पड़ी रही। सोने की बहुत कोशिश कर रही थी पर डर के मारे नींद  गायब हो गई थी।

जब शाम में विवेक और  रवि घर वापस आए तो मुझे देख बहलाने की कोशिश करने लगे। विवेक ने तो यहां तक कह दिया कि" देखो तुम्हें शिव जी दर्शन देने उस समय आए जब तुम्हारे अलावा घर में कोई ना था। वह सिर्फ तुम्हें ही दर्शन देना चाहते थे "।

पर मैं क्या बोलूं। मैं तो अभी   भी डर से कांप रही थी । बार बार  मुझे वॉचमैन  की कही बातें याद आने लगी । जिसने कहा था -"मैडम यह नाग देवता बहुत जहरीले हैं, जिसे काट लें वह आधे घंटे में ही मर जाता है । यहां आस-पास मैंने ऐसा   नाग पहले कभी नही देखा  है"।

इसे क्या कहूं मात्र एक संयोग ,शिव जी की तस्वीर लाना उसमें बने नाग को देखना और दूसरे ही दिन साक्षात  उसका दर्शन।

उस दिन  संध्या आरती  के समय जब मेरी नजर शिवजी के गले में लिपटे नाग पर गई तो ऐसा लगा  मानो सुबह  ये उनके गले से सरक मेरे सामने आ बैठा था।

  ये मेरी आस्था को  दृढ़ बनाने की ईश्वर की ही कोई व्यवस्था थी या मात्र संयोग ये मेरी समझ से परे थी।

 

अर्चना  तिवारी

बरोडागुजरात

 

  

 

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