सशक्त नारी

सृजन
0

          जिंदगी में कामयाबी ही यूं ही नहीं मिलती बड़े संघर्षों से गुजरना होता है । तब जाकर जिंदगी संवरती है

 आज कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में मैं संक्षिप्त रूप से सृजन के माध्यम से सभी को अवगत करा रही हूं जिन की कहानी सत्य तो है पर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती ।

दो महिलाएं जिन्होंने अपना जीवन स्वयं संवारा ।

उनमें से एक.......... जो ढेरों सपने संजोए पहली बार अपने पति के घर जाती है और कुछ ही दिनों बाद उसके सपने टूट जाते हैं। क्योंकि उसका पति शराबी और हिंसक होता है रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल पाता और लड़की सब छोड़कर अपनी मां के घर आकर रहने लगती हैं कुछ दिनों पश्चात मां-बाप भी दुनिया छोड़ कर चले जाते हैं ।भाई भाभी के सहारे लड़की अपना जीवन गुजारना चाहती है। लेकिन मुश्किल वहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती भाभी अपने तीसरे बेटे को जन्म देने में पैरालाइज्ड हो जाती है इतना ही नहीं भाई उस हालात में भाभी को छोड़कर दूसरा विवाह करके हमेशा के लिए घर छोड़ कर चला जाता है।

 अब उस लड़की पर छोटे-छोटे तीन बच्चे और भाभी की जिम्मेदारी आ पड़ती है लेकिन वह उसे बखूबी निभाती है तीनों बच्चों और भाभी की देखरेख के लिए लड़की घर से बाहर निकलती है और बड़े संघर्षों के साथ उन बच्चों का पालन पोषण बहुत भली भांति करती है और उसमें सफल भी होती है।

 आज उस लड़की के दोनों भतीजे कामयाब इंसान है और आई.आई.टी करके एक शानदार जॉब कर रहे हैं और भतीजी पीएचडी कर रही है ।यहां उस नारी ने साबित कर दिया कि समाज में महिला को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।।

       दूसरी कहानी भी कुछ ऐसी ही है

 कृति( एक काल्पनिक नाम )जब ससुराल आई तो ढेरों सपने संजो कर लाई। कम उम्र में विवाह हुआ था उसका ....केवल पढ़ने की इच्छा थी इसीलिए विवाह के लिए जल्दी मान भी गई थी । पढ़ाई तो उसकी रुकी नहीं पर ससुराल में उसका कोई भी अपना नहीं था यहां तक कि पति भी नहीं।

 बेचारी कृति रोजाना घरेलू हिंसा का शिकार होती थी पर उसके पास एक बहुत अच्छी चीज थी और वह थी उसकी हिम्मत जिसमें वह कभी नहीं हारी ।हर समय यही सोचती थी कि कभी तो दुख का सवेरा होगा । लेकिन अंधेरा अभी बाकी था उसकी जिंदगी में।ससुराल में उसका शोषण रुक ही नहीं रहा था कई साल इंतजार करने पर जब उस पर ही नहीं उसके बच्चों का भी शोषण होने लगा तो उसने हिम्मत दिखाई और उसी हिम्मत के बल पर अपने खिलाफ अत्याचार के लिए आवाज उठाई और अपने बच्चों को लेकर उसने ससुराल हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया और अपनी मेहनत के बल पर खुद को स्थापित किया एक सफल अध्यापिका के रूप में।  इतना ही नहीं उसने अपने बच्चों का अच्छे संस्कारों के साथ उनका पालन पोषण किया और उन्हें एक सफल इंसान बनाया।

 आज उसके बच्चे कामयाब है और सरकारी सेवारत हैं और कृति एक सफल अध्यापिका के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर की सफल कवित्री भी है ।  किसी ने सच ही कहा है.......

मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती  यहां इन दोनों नारियों ने यह साबित कर दिया कि मेहनत के बल पर सब कुछ हासिल हो सकता है।।

 

- सुनीता आर्य

मेरठ, उत्तर  प्रदेश 

 


 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!