जिसकी उपस्थिति खलती रही
पिछले दिनों
वो हुआ था कुछ ओझल
आँखों से
तो चैन मिला मन को
मस्तिष्क को
निजात मिली थी
उसके डर से
पर अब सच में
वो लौट आया है फिर से...
हमें फिर संभलना होगा
अपनी दिनचर्या को
पुनः बदलना होगा
भीड़-भाड़ से दूर
मुख पर मास्क ना लगाने का
अब ना कोई बहाना होगा
वैक्सीन-टीका लगवाना होगा
लौटकर आया शत्रु (कोरोना)
और भी प्रबल होता है
बचाव ही उसका हल होता है
हम संभल के निकलें
अपने अपने घर से
वो लौट आया है फिर से...
- व्यग्र पाण्डे
गंगापुर सिटी, राजस्थान