वही रक्त तुझमे,वही है मुझमें
फिर क्यूँ तुम स्वामी
हम दास हो गए
नौ महीने तू भी था गर्भ मे
और नौ मास मैने भी बिताए
फिर क्यूँ तुम मालिक
हम हर घर मैं किरायेदार हो गए
पार्वती के बिना शिव
राधा के बिना कान्हा भी पूरे ना हुए
फिर कैसे तुमने स्वयं को सम्पूर्ण माना
और हम कहीं भी न रहे
शादी की पवित्र अग्नि के सामने
कुछ कसमें तुमने खाई
कुछ वचन मैने भी दिए
तुमने तीन मैने चार फेरे आगे लिए
फिर तुम क्यूँ आजाद और हम कैद हो गए
बहुत खुश हुए हमने जब
अंश तुम्हारापाला गर्भ में
चलो कुछ तो है जो हमारा है
पर जब किसी ने पूछा उनसे
हो किसके सुत और सुता तुम
नाम सिर्फ तुम्हारा सुन के
हम और भी हैरान रह गए
-सुनीता सिंह
नोएडा, उत्तर प्रदेश