पूरी नहीं पर फिर भी
मैं सारी की सारी हूं
हां मैं नारी हूं, हां मैं नारी हूं
कभी हो बात भक्ति की
तो देवी कहलाती हूं
और हो कभी लड़ाई
तो गाली नज़र आती हूं
दोनों जगह जो है व्यापक हूं
वो तलवार दो धारी हूं
हां मैं नारी हूं, हां मैं नारी हूं
जगत जननी का नाम मिला
मां,बहन,बेटी और बीवी
का सम्मान मिला
पर जब मिली अकेले में
तो अपनी इज्जत हारी हूं
हां मैं नारी हूं, हां मैं नारी हूं
मां का घर मेरा नहीं
पति का घर मेरा नहीं
बच्चे मेरे मेरे नहीं
हां मैं नारी हूं, हां मैं नारी हूं
न अपने मन का पहन सकूं
लोक लाज का पर्दा है
न अपने मन से घूम सकू
मुझे समाज का खतरा है
न संवार पायी खुद को
पर पूरा समाज संवारी हूं
हां मैं नारी हूं, हां मैं नारी हूं
हां मैं नारी हूं
-सुखप्रीत सिंह "सुखी"
शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश