तू जीवन की संगीत है
तू कान्हा की है राधा,
कभी मीरा-सी मीत है |
तू दुर्गा है , तू काली है ,
तू शक्ति की अवतार है
स्वंय को पहचान ले अब,
तू स्वंय में मिशाल है |
मत बन तू कठपुतली ,
तू नहीं कठपुतली तुल्य है
अपनी कीमत पहचान ले,
तू सबसे बहुमूल्य है |
अन्याय का प्रतिकार कर,
अन्याय पर न्याय की जीत है
तू राम की सीता,शिव की सती
, तू जीवन की प्रतीक है |
तुझसे रौशन है जग सारा ,
तू दिव्य प्रकाश पूँज है
सृष्टि के कण-कण में शोभित,
तू नारायणी स्वरूप है |
-कमला सिंह 'महिमा'
पश्चिम-बंगाल